बिल्कुल, मंदबुद्धि, मूकवधिर और दिव्यांग बच्चों के साथ समर्पित भाव से देख-रेख करना बहुत महत्वपूर्ण है। इससे न केवल उनका सहारा मिलता है, बल्कि उनका समर्थन और समागम भी होता है जो उनके सहज विकास के लिए आवश्यक हैं। यहां कुछ जाननेयोग्य कुछ तरीके हैं जो आपको इस मामले में मदद कर सकते हैं।
- सहजता से बातचीत:
- इन बच्चों के साथ सहजता से बातचीत करना महत्वपूर्ण है। यह आपको उनके भावनाओं को समझने में मदद करेगा और उन्हें सुनने का एक मौका देगा।
- उनकी आवश्यकताओं का समझना:
- उनकी विशेष आवश्यकताओं को समझना और उनके लिए सही समर्थन प्रदान करना महत्वपूर्ण है। इससे उनका समृद्धि में सहयोग हो सकता है।
- उनके स्वतंत्र और सकारात्मक विकास को प्रोत्साहित करें:
- उनके स्वतंत्र और सकारात्मक विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उन्हें अपनी क्षमताओं को विकसित करने के लिए विभिन्न कौशलों में प्रदर्शन करने का मौका दें।
- उन्हें समाज में शामिल करें:
- उन्हें समाज में शामिल करने के लिए आपसी बातचीत, खेलने और और बच्चों के साथ सामूहिक गतिविधियों में शामिल होने का मौका दें।
- सामाजिक समर्थन देना:
- उन्हें सामाजिक समर्थन प्रदान करने के लिए आपसी संबंध बनाए रखें ताकि वे समाज में सहजीवन रूप से समर्थ हो सकें।
- उनकी शिक्षा का समर्थन:
- उनकी शिक्षा को समर्थन करें, और उन्हें उनके स्तर के अनुसार शिक्षा मिले।
- समर्थन गतिविधियों में भाग लेना:
- उनके लिए समर्थन गतिविधियों में भाग लेना और उन्हें अच्छे तरीके से प्रोत्साहित करना महत्वपूर्ण है।
ये सभी कदम आपको उन्हें सहारा और समर्थन प्रदान करने में मदद कर सकते हैं और उनके सहायता के लिए एक सकारात्मक और सामर्थ्यपूर्ण पर्याय बना सकते हैं। मानव सेवा आश्रम में हमेशा इन बच्चो को समर्पित भाव से देख-रेख किया जाता है। और यह प्रयास किया जाता है की उनका उचित मानसिक विकास हो ताकि वो व्यावहारिक सोच उनमे आए ताकि उन्हें सामाजिक समर्थन प्रदान हो।