राम दयाल जी अपने परिवार सहित मानव सेवा आश्रम के बच्चो को रात्रि में भोजन कराने का कार्य किये। वे अपने परिवार सहित यहाँ आकर बच्चो को अपने हाथो से भोजन परोसा और खिलाया। यहाँ आकर यहाँ के बच्चो को भोजन कराना कितना आनंदायक होता है ये यहाँ आकर और उन्हें भोजन करा कर अनुभव होता है क्योकि आज के समय में अपने लिए तो सभी जीते है पर उनका क्या जिनका कोई भी अपना परिवार नहीं है। ऐसे में ये एक सामाजिक जिम्मेदारी बनती है की मिलकर समाज के लोग सामाजिक रूप से उनका ख्याल रखे ताकि उनका जीवन आसान हो।