बसंत पंचमी में माँ सरस्वती की पूजा अर्चना करने के बाद मूर्ति विषर्जन

Goddess Saraswati

माँ सरस्वती की पूजा और अर्चना के बाद मूर्ति विषर्जन करना एक धार्मिक प्रक्रिया है जो कई हिन्दू पर्वों और उत्सवों में की जाती है। इस प्रक्रिया को सही तरीके से करने के लिए निम्नलिखित चरणों का पालन किया जा सकता है:

  1. ध्यान और ध्यान स्थापना: माँ सरस्वती की मूर्ति के सामने बैठें और ध्यान करें। अपने मन को शांत और उत्तेजित करें।
  2. पूजा के लिए सामग्री तैयार करें: पूजा के लिए आवश्यक सामग्री जैसे फूल, दीपक, अदरक, स्वीट मिश्रण, फल, पुष्प, धूप, चावल, गंगाजल, बत्ती, कुंकुम, वस्त्र आदि को तैयार करें।
  3. पूजा का आरंभ करें: माँ सरस्वती को शुद्ध गंगाजल से स्नान कराएं और पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, अर्घ्य, चंदन और कुंकुम आदि से पूजा करें।
  4. मंत्र जप करें: माँ सरस्वती के मंत्रों का जाप करें और उन्हें उच्चारण करें। “ॐ ऐं ह्रीं सरस्वत्यै नमः” या “ॐ श्री सरस्वत्यै नमः” जैसे मंत्र का उच्चारण करें।
  5. प्रार्थना करें: माँ सरस्वती से अपनी मनोकामनाएं मांगें और उन्हें आशीर्वाद देने के लिए प्रार्थना करें।
  6. आरती करें: माँ सरस्वती की आरती गाएं और दीपक की आरती करें।
  7. मूर्ति विसर्जन: पूजा के बाद, माँ सरस्वती की मूर्ति को स्थान से हटाकर एक शुद्ध स्थान पर रखें। फिर उन्हें नदी, सरोवर, या जल स्त्रोत में विसर्जित करें। विशेष रूप से बसंत पंचमी जैसे त्योहारों पर, यह मूर्ति विसर्जन का अवसर होता है।

यह सभी कदम माँ सरस्वती की पूजा और अर्चना के बाद मूर्ति विसर्जन की प्रक्रिया को समाप्त करने में मदद कर सकते हैं। पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ इन कदमों को पालन करें।

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