मंदबुद्धि और दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा व्यवस्था को सामाजिक समावेश, उच्चतम स्तर की सामरिकता, और उपयुक्त समर्थन के साथ तैयार किया जाना चाहिए। इसके लिए कुछ महत्वपूर्ण दिशानिर्देश निम्नलिखित हैं:
- समाजिक समावेश:
- समाजिक समावेश को प्रोत्साहित करना अत्यंत महत्वपूर्ण है। स्कूल और कक्षाओं में समृद्धि से भरी वातावरण को सुनिश्चित करना चाहिए ताकि इन बच्चों को सामाजिक रूप से समाहित होने में मदद मिले।
- व्यक्तिगतीकरण:
- हर बच्चे की विशेषताएं और आवश्यकताएं अद्वितीय होती हैं, इसलिए उन्हें व्यक्तिगतीकृत समर्थन प्रदान करना चाहिए। उन्हें उनकी गतिविधियों और शैली के अनुसार शिक्षा देना चाहिए।
- उपयुक्त शिक्षा सामग्री:
- मंदबुद्धि और दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा सामग्री को सरल और सुलभ बनाए रखना चाहिए। विशेष शिक्षा सामग्री और टूल्स का प्रदान करना उनकी सीखने की क्षमता को बढ़ा सकता है।
- सहायक शिक्षा:
- सहायक शिक्षा प्रदान करने के लिए विशेषज्ञों को स्कूलों में शामिल करना चाहिए ताकि वे बच्चों को एक-से-एक शिक्षा प्रदान कर सकें।
- संपर्क साधारित सीखना:
- मंदबुद्धि और दिव्यांग बच्चों को सीधे संपर्क साधारित सीखने का अधिक अवसर देना चाहिए। उन्हें वास्तविक जीवन स्थितियों में सीखने का मौका मिलना चाहिए।
- माता-पिता और परिवार सहायता:
- माता-पिता और परिवार को बच्चों के शिक्षा में सक्रिय रूप से शामिल होना चाहिए। उन्हें बच्चों के सीखने की प्रक्रिया में सहायक बनना चाहिए।
- समर्पित शिक्षक:
- समर्पित और समर्थ शिक्षकों को चुनना चाहिए जो इन बच्चों को सही मार्गदर्शन देने में सक्षम हों।
- समाज सचेतनता:
- समाज में उत्तराधिकारीता और सचेतनता बढ़ाने के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करना चाहिए, ताकि लोग इन बच्चों के प्रति समझदारी और समर्थन दिखा सकें।
- उच्चतम स्तर का समर्थन:
- बच्चों को उच्चतम स्तर के समर्थन का अधिकार होना चाहिए, जिससे उन्हें अपनी क्षमताओं का पूरा अधिकार होता है।
- नैतिकता और सामाजिक शिक्षा:
- इन बच्चों को नैतिकता और सामाजिक मूल्यों के प्रति शिक्षित करना चाहिए ताकि वे समाज में सकारात्मक योगदान कर सकें।
- स्वतंत्रता और स्वाभाविकता:
- इन बच्चों को उनकी स्वतंत्रता और स्वाभाविकता को समर्थन करने का मौका देना चाहिए, जिससे वे अपनी सोच और क्रियाओं में स्वतंत्र हो सकें।
मंदबुद्धि और दिव्यांग बच्चों के लिए शिक्षा को समृद्धि और समर्थन के साथ आयोजित करने के लिए सभी स्तरों पर सामाजिक संरचना को समय-समय पर समीक्षा करना चाहिए ताकि उन्हें समर्थन मिल सके और वे समाज में समाहित भूमिका निभा सकें।